Geet

in prameshtyagi •  7 years ago 

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आज हम जो ज़रा से मदहोश हैं,
और नज़रों से हमको पिलाना नहीं।
बेख़ुदी में ख़ता कोई हो जाएगी,
तुम ख़ुदा के लिए मुस्कुराना नहीं।

जाने मौसम का जादू है या आपका,
सारा आलम ही बदला है इस रात का,
आज ख़ुद का पता है ना ईमान का
और दिल का भी कोई ठिकाना नहीं।

हमको अच्छे बुरे का नहीं होश है,
सारी बारीकियाँ आज ख़ामोश हैं,
जब तलक होश अपने मुकम्मल ना हों,
तुम नया कोई जलवा दिखाना नहीं।

ये माना कि हम हैं भले आदमी,
कुछ तो होती है हर आदमी में कमी,
हम पे चाहे तू जितना भरोसा करे,
आज बिल्कुल हमें आज़माना नहीं।

इस शहर में हमारा बड़ा नाम है,
तेरी गुस्ताख़ियाँ थोड़ी बदनाम हैं,
हमसे कोई शरारत भी हो जाए गर,
भूल कर भी किसी को बताना नहीं।

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